वायरस क्या है? (What is Virus?)
VIRUS का पूरा नाम Vital Information Resources Under Siege है। यह एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर (Malicious Software) है जो कंप्यूटर सिस्टम में घुसकर उसकी कार्यप्रणाली को बाधित करता है। वायरस छोटे प्रोग्राम होते हैं जो कंप्यूटर के डेटा को नुकसान पहुंचाते हैं, उसे चुराते हैं या उसे बदल देते हैं। यह अपनी प्रतिलिपि बनाने की क्षमता रखता है, जिससे यह एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में आसानी से फैल जाता है।
कंप्यूटर वायरस के लक्षण (Symptoms of Computer Virus)
- कंप्यूटर की गति धीमी होना – यदि कंप्यूटर अचानक धीमा हो जाए और प्रोग्राम खोलने में ज्यादा समय ले, तो यह वायरस का संकेत हो सकता है।
- ब्राउजर सेटिंग्स में बदलाव – होमपेज या ब्राउजर सेटिंग्स अपने आप बदल जाएं, तो यह स्पाईवेयर या वायरस का संकेत है।
- कंप्यूटर का बार-बार हैंग होना – यदि कंप्यूटर बार-बार जाम हो रहा है, तो यह वायरस के कारण हो सकता है।
- पॉप-अप विंडोज – इंटरनेट ब्राउजर पर बार-बार पॉप-अप विंडोज खुलना।
- अजीब आइकन दिखना – डेस्कटॉप या सिस्टम ट्रे में अज्ञात आइकन दिखाई देना।
- अनचाहे फोल्डर और फाइलें – कंप्यूटर में अज्ञात फोल्डर या फाइलें दिखाई देना।
- अनचाहे प्रोग्राम खुलना – कंप्यूटर चालू करते ही कुछ प्रोग्राम अपने आप खुल जाना।
- डेटा का गायब होना – कंप्यूटर से महत्वपूर्ण फाइलें या डेटा गायब हो जाना।
- इंटरनेट स्पीड कम होना – वायरस इंटरनेट कनेक्शन को प्रभावित कर सकता है।
- एंटीवायरस का काम न करना – यदि एंटीवायरस सॉफ्टवेयर काम करना बंद कर दे, तो यह वायरस का संकेत हो सकता है।
वायरस का इतिहास (History of Virus)
वायरस शब्द का पहली बार प्रयोग 1983 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के छात्र फ्रेड कोहेन ने किया था। उन्होंने दिखाया कि कैसे एक प्रोग्राम कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है। पहला प्रसिद्ध वायरस C-Brain था, जिसे 1986 में पाकिस्तान के दो भाइयों ने बनाया था। इसके बाद, वायरस तकनीक तेजी से विकसित हुई और आज यह एक बड़ी साइबर सुरक्षा चुनौती बन गई है।
1980 के दशक में, वायरस को लेकर लोग ज्यादा जागरूक नहीं थे। लेकिन 1990 के दशक में, माइकलएंजेलो और जेरूसलम जैसे वायरस ने दुनिया भर में तहलका मचा दिया। आज, वायरस न केवल कंप्यूटरों को प्रभावित करते हैं, बल्कि मोबाइल डिवाइस और IoT उपकरणों को भी निशाना बनाते हैं।
कंप्यूटर वायरस के प्रकार (Types of Computer Virus)
- बूट सेक्टर वायरस – यह हार्ड डिस्क के बूट सेक्टर को प्रभावित करता है और कंप्यूटर को शुरू होने से रोकता है।
- फाइल वायरस – यह .exe और .com फाइलों को संक्रमित करता है।
- मैक्रो वायरस – यह Microsoft Office फाइलों (जैसे Word, Excel) को प्रभावित करता है।
- पॉलिमॉर्फिक वायरस – यह अपना रूप बदलकर एंटीवायरस से बचता है।
- ट्रोजन हॉर्स – यह एक प्रकार का मैलवेयर है जो यूजर की जानकारी चुराता है।
- वर्म्स – यह नेटवर्क के माध्यम से फैलता है और डेटा को नुकसान पहुंचाता है।
- स्पाईवेयर – यह यूजर की गतिविधियों पर नजर रखता है और उसकी जानकारी चुराता है।
- रूटकिट वायरस – यह कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम को प्रभावित करता है।
- रैनसमवेयर – यह यूजर के डेटा को एन्क्रिप्ट कर देता है और फिरौती मांगता है।
- एडवेयर – यह अनचाहे विज्ञापन दिखाकर यूजर को परेशान करता है।
कंप्यूटर वायरस कैसे फैलता है? (How Does Computer Virus Spread?)
- इंटरनेट से – संक्रमित वेबसाइट्स, ईमेल अटैचमेंट, या डाउनलोड किए गए फाइलों से।
- पायरेटेड सॉफ्टवेयर – अवैध सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने से।
- सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस – USB, पेन ड्राइव, या एक्सटर्नल हार्ड डिस्क से।
- नेटवर्क सिस्टम – एक संक्रमित कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में।
- सोशल मीडिया – संक्रमित लिंक या फाइलें सोशल मीडिया के माध्यम से फैलती हैं।
- मोबाइल डिवाइस – संक्रमित ऐप्स या फाइलें मोबाइल डिवाइस से कंप्यूटर में आ सकती हैं।
कुछ प्रसिद्ध कंप्यूटर वायरस (Famous Computer Viruses)
- माइकलएंजेलो (Michelangelo) – यह वायरस 6 मार्च को सक्रिय होता था और डेटा को नष्ट कर देता था।
- सी-ब्रेन (C-Brain) – यह पहला वायरस था जिसने बड़े पैमाने पर कंप्यूटरों को प्रभावित किया।
- जेरूसलम (Jerusalem) – यह वायरस शुक्रवार को सक्रिय होता था और फाइलों को नष्ट कर देता था।
- ट्रोजन हॉर्स – यह यूजर की जानकारी चुराने के लिए जाना जाता है।
- वैनाक्राई (WannaCry) – यह रैनसमवेयर था जिसने 2017 में दुनिया भर में लाखों कंप्यूटरों को प्रभावित किया।
- मेलिसा (Melissa) – यह ईमेल के माध्यम से फैलता था और Microsoft Word डॉक्यूमेंट्स को प्रभावित करता था।
कंप्यूटर वायरस से बचाव के उपाय (How to Prevent Computer Virus?)
- एंटीवायरस सॉफ्टवेयर – नियमित रूप से कंप्यूटर को स्कैन करें।
- सिस्टम अपडेट – ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें।
- फायरवॉल का उपयोग – फायरवॉल सिस्टम को अनधिकृत एक्सेस से बचाता है।
- अनजान लिंक और अटैचमेंट से बचें – संदिग्ध ईमेल या लिंक पर क्लिक न करें।
- पायरेटेड सॉफ्टवेयर से दूर रहें – अवैध सॉफ्टवेयर इंस्टॉल न करें।
- बैकअप लेना – नियमित रूप से डेटा का बैकअप लें।
- सुरक्षित पासवर्ड का उपयोग – मजबूत और यूनिक पासवर्ड का उपयोग करें।
- पॉप-अप ब्लॉकर – ब्राउजर में पॉप-अप ब्लॉकर का उपयोग करें।
एंटीवायरस क्या है? (What is Antivirus?)
एंटीवायरस एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो कंप्यूटर में वायरस को ढूंढकर उसे नष्ट करता है। यह कंप्यूटर को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। कुछ प्रसिद्ध एंटीवायरस सॉफ्टवेयर में नॉर्टन (Norton), मैकएफी (McAfee), अवास्ट (Avast), और कास्पर्सकी (Kaspersky) शामिल हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- कंप्यूटर वायरस का जनक कौन है?
पहला कंप्यूटर वायरस रॉबर्ट थॉमस द्वारा 1971 में बनाया गया था। - कंप्यूटर में वायरस कैसे आता है?
वायरस इंटरनेट, ईमेल अटैचमेंट, या संक्रमित डिवाइस के माध्यम से आता है। - पहला कंप्यूटर वायरस कौन सा था?
पहला वायरस Creeper था, जिसे 1971 में बनाया गया था। - लोग वायरस क्यों बनाते हैं?
लोग वायरस मनोरंजन, वित्तीय लाभ, या साइबर युद्ध के उद्देश्य से बनाते हैं। - भारत का पहला वायरस कौन सा था?
भारत में पहला प्रसिद्ध वायरस डिस्क वाशर था, जो 1993 में सामने आया।
कंप्यूटर वायरस एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही जागरूकता और सुरक्षा उपायों से इसे रोका जा सकता है। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर और सुरक्षित इंटरनेट प्रथाओं का उपयोग करके आप अपने कंप्यूटर को सुरक्षित रख सकते हैं।
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